@ सर्वप्रथम हम हर कुंडली का BTR यानि जन्म समय का संशोधन अवश्य करेंगे, इससे जन्म समय में 20 सेकण्ड्स से लेकर 6 मिनट्स तक का अगर कोई अंतर हुआ, वो ठीक किया जाएगा। We always does this BTR without ruling planets.
@हम किसी भी भाव को उसकी राशि से नहीं, उसके उपनक्षत्र के माध्यम से विवेचन करेंगे।
@ग्रह वक्री हो मार्गी हो, अस्त या उदित हो, नीच का उच्च का, कुछ भी हो, हम इसे नॉर्मल ग्रह की तरह ही लेंगे, चाहे जन्म कुंडली हो या प्रश्न कुंडली या टाइम कुंडली।
@हम लग्न चार्ट नहीं, बल्कि भाव चार्ट का अध्य्यन करेंगे।
@हम कभी कभार GSA में भी कुछ वैदिक टिप्स या कुछ वैदिक सूत्रों का प्रयोग करते हैं, उस स्थिति में हम लग्न कुंडली का प्रयोग करेंगे न कि भाव कुंडली का
@बाधक ग्रह भी जब हम देखेंगे, लग्न कुंडली से देखेंगे। GSA में बाधक ग्रह 11,9,7 नहीं : 11,3,7 लिए जाते हैं। चर लग्न के लिए 11वां, स्थिर लग्न के लिए 3सरा और द्विस्वभाव के लिए 7वां।
@GSA में CIL (cuspal inter link) यानि कस्पल अंतर सम्बन्ध से विश्लेषण किया जाता है। ग्रह किस राशि का स्वामी है और कहां बैठा है, ये हमारे सबसे अंतिम यानि चौथे दर्जे के कार्येश रहेंगे।
@कार्येश के लिए मुख्यता उपनक्षत्र के साथ उपउप नक्षत्र से भी कार्येश लेंगे (अगर ग्रह धीमी गति का है तो), अन्यथा उपनक्षत्र के साथ नक्षत्र से कार्येश लेंगे (अगर ग्रह तीव्र गति का है तो)
@धीमी गति के ग्रह हैं– राहु, गुरु, शनि, बुध, शुक्र।
तीव्र गति के ग्रह हैं– सूर्य, चन्द्र, मंगल, केतु।