Astrology books explore celestial influences on life, covering zodiac signs, planets, and their interactions for self-understanding and future insights.
वेद के 6 अंग हैं जिनमें से ज्योतिष भी एक है। विभिन्न पुराण उपनिषद आदि ग्रन्थों में भी ज्योतिष की विस्तृत चर्चा है। फिर भी कुछ मूढ़मति जन ज्योतिष को कोसने में अग्रणी रहते हैं।
ज्योतिष एक विज्ञान है। विज्ञान का सबब ही यही है कि इसे सतत शोध की आवश्यकता रहती है। शोध कार्य को कभी भी विश्राम नहीं दिया जा सकता। एक बात सदैव स्मरण रहे कि ज्योतिष में आप कितना भी शोध कर लो, आपका शोध हमेशा वैदिक सूत्रों पर ही टिका रहेगा। वैदिक ज्योतिष तो ज्योतिष का मूल आधार है। जो लोग कहते हैं कि उनका शोध सही है पर वैदिक ज्योतिष गलत है, वो भी मूढ़मति ही हैं, कहीं कुछ कम नहीं।
प्रत्येक इंसान की कुंडली अपने आप में अद्वितीय होती है, किसी भी दूसरे की कुंडली से मेल नहीं खा सकती। किन्हीं भी दो व्यक्तियों की जीवन शैली और जीवन में सुख दुख का घटनाक्रम एक जैसा नहीं हो सकता। जब दो व्यक्ति जुड़वां पैदा होते हैं, कितने कम समय के अन्तराल सें, फिर भी दोनों का भविष्य एक जैसा नहीं होता। कई बार तो दो में से एक जीवित रहता है औऱ एक तुरन्त मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। पढ़ाई भी अलग अलग होती है। और कोई एक बिज़नेस करता है तो दूसरा नौकरी। शादी एक की जल्दी और दूसरे की देर से। ऐसे अंतर को पाटने में वैदिक ज्योतिष की अपनी सीमाएं हैं। सबसे शीघ्र बदलता है लग्न, वो भी लगभग दो घण्टे के अंतराल से। उसके बाद सबसे जल्द बदलता है चन्द्र, वो भी सवा दो दिन के अंतराल में। जब कुंडली में ही कुछ नहीं बदलता तो जीवन घटनाक्रम को अलग अलग कैसे रेखांकित करेंगे।
वैदिक ज्योतिष की इस सीमा को पाटने का कार्य किया कृष्णमूर्ति जी ने, जिन्होंने उपनक्षत्र से कुंडली देखने की प्रथा प्रतिस्थापित की। पर इस पध्दति की भी अपनी अनेक सीमाएं रहीं। फिर KB आदि कई पध्दतियों का विकास हुआ। सभी में कुछ न कुछ सीमाएं रहीं। इन सीमाओं को समाप्त कर, सभी पध्दतियों को एक सूत्र में एकत्र कर, नयी विधा को नाम दिया गया GSA यानि Gupta System of Astrology.
मित्रो, एक लग्न लगभग दो घण्टे रहता है, इसमें सवा दो नक्षत्र होते हैं, इस तरह एक नक्षत्र लगभग 50 मिनट रहता है। उप नक्षत्र लगभग 6 मिनट और उपउप नक्षत्र रहता है लगभग 50 सेकण्ड्स। उपउप नक्षत्र पर हम कतई भरोसा नहीं कर सकते क्योंकि इतने कम समय की शुद्धता हमें प्राप्त नहीं हो सकती। इसलिये हम उप नक्षत्र से कुंडली का विवेचन शुरू करते हैं। आप सही सोच रहे हैं कि यहां तो जन्म समय का 6 मिनट के लगभग अंतर है फिर कैसे हम कुंडली के सूक्ष्म विवेचन का दावा करते हैं। निश्चिंत रहें कि जब इस उप नक्षत्र का नक्षत्र और उप नक्षत्र हम लेंगे, ये अंतर भी मिट कर हमें सूक्ष्म विश्लेषण प्राप्त होगा।
अब ये 6 मिनट का अंतर भी सही है कि नहीं, इसके लिए हम जन्म समय शुद्धिकरण करते हैं। सभी पद्धतियां और सभी ज्योतिषी रूलिंग प्लैनेट्स के आधार पर जन्म समय शुद्धिकरण करते हैं पर GSA में हम ऐसी प्रथा का समर्थन नहीं करते। ये प्रथा न तो तर्कसंगत है और न ही वैज्ञानिक। हम बिना रूलिंग प्लैनेट्स के ही जन्म समय शुद्धिकरण करेंगे।
प्रस्तुत पुस्तक “फ्यूचर मंथन” भाग 1 और भाग 2, ज्योतिष के क्षेत्र में एक नयी वैज्ञानिक सोच को परिलक्षित करेगी, ऐसा मेरा अटूट विश्वास है।
इन पुस्तकों में बिल्कुल आरम्भ से ज्योतिष समझने समझाने का प्रयास किया गया है। चमत्कारी सूत्र और विशेष उपाय व टोटके भी दिए गए हैं जो आपके लिए काफी लाभकारी सिद्ध होंगे। हर नियम को एक एक करके और उदाहरण के साथ समझाने का प्रयास किया है। ज्योतिष मुमुक्षु के लिए ऑन लाइन और ऑफ लाइन कक्षा का प्रबंध बड़े ही उचित मूल्य पर किया जाएगा। जो छात्र शोध कार्य करना चाहते हों, वो हमारे संस्थान से जुड़ें, उनका यथोचित मार्गदर्शन किया जायेगा। निर्धन छात्र जो हमारे शोध कार्य को आगे बढ़ाने में रूचि रखते हों, उन्हें पूरा सहयोग दिया जाएगा। पुस्तक के हरेक अध्याय को ध्यान से पढ़ें, बार बार पढ़ें, अच्छी तरह समझ आने पर ही आगे बढ़ें। आप सीधे मुझसे जुड़ सकते हैं और पुस्तक में किसी भी अध्याय को समझने में आ रही किसी भी कठिनाई का समाधान पा सकते हैं। एक बात और कहना चाहूंगा कि ज्योतिष कोई कठिन विषय नहीं है, बस आवश्यकता है नियमों और सूत्रों को सही परिप्रेक्ष्य में समझने की, एकाग्रता की और निरन्तर अथक अभ्यास की। चरित्रवान बनिये, इन्द्रिय निग्रह कीजिये और अपनी सोच को उन्मुक्तता प्रदान कीजिये। आपकी सोच और विचारों की नित नयी उड़ान आपके ज्योतिष शोध में सहायक और पूरक बनेगी। आज अपनी पुस्तकों के विमोचन के सुअवसर पर मैं दण्डवत प्रणाम करता हूँ अपने स्वर्गीय माता पिता को जो मुझे इस धरती पर लाये और मैं ईश्वर की सर्व सुन्दर कृति यानि इस संसार का अवलोकन कर सका।
मैं अपने दोनों बेटे अंश गुप्ता औऱ सत्यम गुप्ता, बेटी परिवा गुप्ता और पत्नी सोनिया गुप्ता का आभारी हूँ जो मुझे निरन्तर सहयोग करते रहे और पुस्तक के लेखन कार्य के लिए प्रेरित करते रहे। कंप्यूटर पर पुस्तक लिखना अपने बच्चों के कारण ही सम्भव हो सका। रात भर जागने के लिये चाय कॉफी का सहयोग तो दिया ही, पुस्तक में भाषीय त्रुटियां दूर करने में भी पत्नी जी के सहयोग का मैं आभारी हूँ।
मैंने विधिवत ज्योतिष शिक्षा कहीं से भी ग्रहण नहीं की, पर जिन भी विद्वानों से मुझे कुछ भी सीखने को मिला, मैं उनको सहर्ष प्रणाम करता हूँ। पंजाब के एक छोटे से कस्बे खन्ना में रहने वाली विदुषी मिथिलेश द्विवेदी और उनके पिताश्री पण्डित आर एस द्विवेदी जी का मैं आभारी हूँ जिनके निवास स्थान पर दो बार जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और पूरा पूरा दिन पिता पुत्री का सस्नेह सान्निध्य प्राप्त हुआ।
चेन्नई के एक हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर ईश्वर को मैं न कभी मिला और न ही कभी फ़ोन पर ही बात हो पायी। पर फेसबुक पर उनके द्वारा शुरू किए गए एक ग्रुप में सम्मिलित रह कर मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा और कुछ नया शोध करने की प्रेरणा पायी। मैं उनका ह्रदय से आभारी हूँ।
स्वर्गीय नन्द अग्रवाल जी को मैं नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। मुझे दो बार दो दो दिन के लिये उनका सान्निध्य प्राप्त हुआ और बहुत कुछ सीखा भी और बहुत कुछ करने की प्रेरणा भी मिली।
कृष्णमूर्ति जी, शहासने जी, भास्कर जी, इन सभी प्रेरणामय विद्वानों को मेरा हृदय से प्रणाम।
ज्योतिषाचार्य नरेंद्र गुप्ता, जम्मू
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